Saturday 11 October 2014

आज विशाखापट्टनम के 470 किलोमीटर पास पहुंचा हुदहुद तूफान, सुबह से तेज बारिश व हवा की आशंका

आज विशाखापट्टनम के 470 किलोमीटर पास पहुंचा हुदहुद तूफान, सुबह से तेज बारिश व हवा की आशंका.

समुद्री तूफान को एक पक्षी का नाम मिला और वो बन गया हुदहुद. अब हुदहुद की दहशत हिंदुस्तान के समुद्री इलाकों फैल गई है. हर कोई डरा हुआ है कि न जाने कब समुद्र की लहरें विकराल रूप धारण कर लें.
मौसम वैज्ञानिकों से लेकर राज्य सरकारों तक, हुदहुद का हाई अलर्ट जारी कर चुकी हैं. खास बात यह है कि ये चक्रवात हर घंटे प्रचंड रूप ले रहा है और हिंदुस्तान की हदों की तरफ बढ़ रहा है. अब खतरा घनी आबादी पर मंडरा रहा है.
दिल्ली स्थ‍ित मौसम विभाग के साइक्लोन सेंटर के डायरेक्टर एम महापात्र ने कहा, 'हमारी आशंका है कि ये पश्चिम व उत्तर-पश्चिम दिशा पर गति से आगे बढ़ रहा है. धीरे-धीरे अगले 24 घंटों में यह भयावह होगा.
बंगाल की खाड़ी में मंडरा रहा हुदहुद तूफान अपनी तबाही का ट्रेलर दिखा चुका है. विनाश का तूफान अंडमान निकोबार को पार कर चुका है. हुदहुद ने अंडमान-निकाबोर में काफी तबाही मचाई. हवाएं इतनी तेज थीं कि पेड़ उखड़ गए, सड़कें टूट गईं. इसके साथ बिजली और फोन की व्यवस्था भी ठप हो गई. अब यह तूफान पश्चिम-उत्तर, पश्चिम की तरफ तेजी से बढ़ रहा है.
हुदहुद दहशत इसलिए बन चुका है, क्योंकि जिस दिशा में विनाश का यह तूफान बढ़ रहा है, वहां घनी आबादी है. यानी पेड़ गिरने से,
बिजली, और संचार लाइने ध्वस्त हो सकती हैं. सबसे बड़ा खतरा, उत्तरी आंध्र प्रदेश और दक्षिणी ओडिशा पर है.

20 लाख की आबादी पर खतरा

सबसे बड़ा खतरा यही है कि हुदहुद आंध्र प्रदेश में 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले विशाखापट्टनम से सीधे टकरा रहा है. सच्चाई यही है कि 12 अक्टूबर को जब हुदहुद हिंदुस्तान में दस्तक देगा, हवाओं की रफ्तार तूफानी होगी, तबाही की बारिश होगी, तो बिजली, सड़क, पेड़ सब ध्वस्त हो सकते हैं. 12 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश व ओडिशा को 12 घंटे सावधान रहने की जरूरत है.
हिंदुस्तान में हुदहुद ने दहशत की तारीख भी मुकर्रर कर दी है. 12 अक्टूबर को जिस वक्त घड़ी में सुबह के करीब साढ़े पांच बजेंगे, समुद्री इलाके थर्रा उठेंगे. भविष्यवाणी कुछ ऐसी है.
मौसम विभाग की मानें, तो बंगाल की खाड़ी में मंडरा रहे चक्रवाती तूफान हुदहुद ने आंध्र प्रदेश विशाखापटनम की तरफ रुख कर लिया है. 12 अक्टूबर को हुदहुद विशाखापट्टनम से टकराएगा. फिर हुदहुद आंध्र प्रदेश के वेस्ट गोदावरी, ईस्ट गोदावरी, विशाखापट्टनम और विजयनगरम होते हुए श्रीकाकुलम की हदों में घुस जाएगा. यहां 24 से 25 सेंटीमीटर यानी भयानक बारिश हो सकती है. इसके साथ-साथ, दक्षिणी ओडिशा के गंजाम, गजपति, कोरापुट और मल्कानगिरी में तबाही के निशान छोड़ सकता है.
उत्तरी आंध्र प्रदेश और ओडिशा में हुदहुद की दहशत से राज्य सरकारें भी अलर्ट हो चुकी हैं. विशाखापटनम में तबाही के हुदहुद से बचने के लिए कैंप लगाए जा रहे हैं. ओडिशा के मुख्यमंत्री किसी भी आपदा से निपटने के लिए बैठकें कर रहे हैं.
समुद्री तुफान हुदुहुद के अंदर हवाओं की रफ्तार 120 से 130 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. हम आपको बता दें कि 11 तारीख के आते ही हुदहुद और भी ताकतवर हो जाएगा. इसके भीतर हवाओं की रफ्तार 130 से बढ़कर 140 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच जाएगी. यह कभी-कभी 155 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार को भी छू सकती है.
दहशत का समुद्री तूफान इस वक्त विशाखापटनम से 500 किलोमीटर दूर है, लेकिन उत्तरी आंध्र प्रदेश से लेकर, दक्षिणी ओडिशा के तमाम ज़िलों में चेतावनी जारी कर दी गई है.
ओडिशा के गंजम जिले के बिनचपल्ली में हुदहुद से बचने के लिए तैयारियां चल रही हैं. मॉक ड्रिल की जा रही है, ताकि हुदहुद के खौफ का खात्मा हो जाए. लोगों को सिखाया जा रहा है कि कैसे चक्रवाती तूफान से बचना है, लाइट जाने पर क्या करना है, तबाही से लोगों को कैसे बचाना है.
हुदहुद दहशत और तबाही का नाम बन चुका है. हिंदुस्तान में हर कोई हुदहुद के नाम से भी कांप रहा है, लेकिन जानिए कि चक्रवाती तूफान का नाम हुदहुद क्यों पड़ा. हुदहुद नाम ओमान ने दिया है. ये अरबी शब्द है. हुदहुद एक पक्षी है, जिसका वहां के पवित्र धर्मग्रंथों में जिक्र किया गया है. यह इजरायल का राष्ट्रीय पक्षी भी है.
अब नाम पड़ने के पीछे की वजह भी जान लीजिए. विश्व मौसम संगठन और युनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पैसिफिक के जरिए जारी की जाने वाली प्रक्रियाओं के तहत किसी भी चक्रवात का नाम रखा जाता है.
आठ उत्तरी भारतीय समुद्री देश एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवातों के 64 नाम तय करते हैं, जिनमें हर देश के आठ नाम होते हैं. जैसे ही चक्रवात इन आठ देशों के किसी हिस्से में पहुंचता है, सूची से अगला दूसरा सुलभ नाम इस चक्रवात का रख दिया जाता है. इस प्रक्रिया के चलते तूफान की आसानी से पहचान और बचाव अभियानों में मदद मिलती है. ये आठ देश हैं- बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाइलैंड.
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